Bihar Board 12th Hindi Sent Up Exam 21 November 2025 Viral Question Answer Objective Subjective Pdf Download
बिहार बोर्ड इंटर सेंटअप परीक्षा 2025 का Hindi 21 November का वायरल क्वेश्चन आंसर ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव का
बिहार बोर्ड 12th सेंटअप परीक्षा 2025 19 नवंबर 2025 से शुरू है और यह 26 नवंबर 2025 तक चलेगी. जिसमें 21 नवंबर 2025 को Hindi की परीक्षा 1st Sitting में होने वाली है.
1st Sitting की सेंटअप परीक्षा 09:30am से 12:45pm तक चलने वाला है और 2nd Sitting की सेंटअप परीक्षा 02:00pm से 05:15pm तक परीक्षा चलने वाली है.
| Article Name | Bihar Board 12th Hindi Sentup Exam 2025 Question Answer Pdf Download |
| Type of Article | 12th Hindi 21 November 2025 Answer Key |
| Subject of Article | 12th Hindi original Question Answer 20 November 2025 |
| 12th Hindi Sent up Exam Date | 21 November 2025 |
| 12th Hindi Exam Time | 2nd Sitting |
| 12th Hindi 21 November 2025 Answer Key | Objective + Subjective |
| BSEB 12th English 21.11.2025 Viral Question Answer Download Link | biharnotices.in |
| Session | 2025-26 |
Objective का Answer -
Class 12th Hindi 21 November Real Question Objective Subjective Answer Key
बिहार बोर्ड Class 12th Hindi सेंटअप परीक्षा 2025 का Question Answer Pdf Download
| Q.N. | ANS | Q.N. | ANS | Q.N. | ANS | Q.N. | ANS | Q.N. | ANS |
|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
| 1 | D | 21 | C | 41 | A | 61 | B | 81 | B |
| 2 | A | 22 | D | 42 | C | 62 | B | 82 | A |
| 3 | C | 23 | A | 43 | D | 63 | C | 83 | B |
| 4 | D | 24 | B | 44 | C | 64 | D | 84 | B |
| 5 | A | 25 | C | 45 | C | 65 | A | 85 | C |
| 6 | B | 26 | D | 46 | B | 66 | C | 86 | B |
| 7 | C | 27 | A | 47 | B | 67 | D | 87 | A |
| 8 | C | 28 | B | 48 | B | 68 | A | 88 | D |
| 9 | A | 29 | C | 49 | A | 69 | B | 89 | B |
| 10 | B | 30 | D | 50 | C | 70 | C | 90 | C |
| 11 | B | 31 | A | 51 | C | 71 | D | 91 | A |
| 12 | D | 32 | B | 52 | B | 72 | D | 92 | D |
| 13 | A | 33 | B | 53 | B | 73 | A | 93 | C |
| 14 | D | 34 | D | 54 | D | 74 | B | 94 | B |
| 15 | A | 35 | A | 55 | A | 75 | C | 95 | B |
| 16 | B | 36 | B | 56 | B | 76 | D | 96 | B |
| 17 | C | 37 | D | 57 | C | 77 | A | 97 | A |
| 18 | D | 38 | A | 58 | C | 78 | B | 98 | B |
| 19 | A | 39 | C | 59 | D | 79 | C | 99 | D |
| 20 | D | 40 | B | 60 | A | 80 | D | 100 | A |
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नोट - 100 में से केवल 50 Objective का हीं Answer देना है
Subjective का Answer -
12th Hindi 21 November Subjective Answer Key
खण्ड – ब: विषयनिष्ठ प्रश्न (Subjective Questions)
- निबंध (Essay)
दिए गए छह विषयों में से किसी एक पर लगभग 250-300 शब्दों में एक निबंध लिखें।
(उदाहरण: परिश्रम का महत्व)
परिश्रम का महत्व
परिश्रम का अर्थ है कठिन प्रयास और लगन। यह मानव जीवन की आधारशिला है। संसार में जितने भी आविष्कार, विकास और सफलताएँ हुई हैं, वे सब परिश्रम की ही देन हैं।
यह कहावत है कि ‘परिश्रम ही सफलता की कुंजी है’। बिना परिश्रम के कोई भी व्यक्ति महान नहीं बन सकता, न ही कोई राष्ट्र प्रगति कर सकता है। परिश्रम व्यक्ति को स्वावलंबी बनाता है और उसमें आत्मविश्वास पैदा करता है। किसान खेत में, मजदूर कारखाने में और विद्यार्थी अपनी शिक्षा में परिश्रम करके ही जीवन में संतोष और लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं।
परिश्रम से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है, क्योंकि यह हमें काम करने से रोकता है और जीवन को निष्क्रिय बना देता है। परिश्रम से ही हम अपने नैतिक गुणों जैसे ईमानदारी, अनुशासन और धैर्य का विकास करते हैं।
अतः हमें यह समझना चाहिए कि संसार में बिना परिश्रम के कुछ भी प्राप्त नहीं होता। यह केवल व्यक्तिगत सफलता के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए भी अनिवार्य है। परिश्रमी व्यक्ति ही समाज और देश को ऊँचाईयों तक ले जाता है।
- सप्रसंग व्याख्या (Explanation with Reference to Context)
निम्नलिखित में से किन्हीं दो अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या:
(i) “सच है, जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण-दोष प्रकट नहीं होता।”
संदर्भ: यह पंक्ति बालकृष्ण भट्ट द्वारा लिखित निबंध ‘बातचीत’ से ली गई है।
भावार्थ: लेखक के अनुसार, वाक्शक्ति (बोलने की शक्ति) ही मनुष्य के भीतर छिपे चरित्र और स्वभाव को प्रकट करती है। जब तक कोई व्यक्ति चुप रहता है, तब तक उसके गुण (अच्छाई) और दोष (बुराई) दोनों ढके रहते हैं। बोलना ही वह माध्यम है जिससे उसके आंतरिक विचार, विवेक और संस्कार सामने आते हैं, और तब ही सही मायनों में उसका मूल्यांकन किया जा सकता है।
(ii) “बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही।”
संदर्भ: यह उक्ति चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने कहा था’ से उद्धृत है।
- पत्र/आवेदन पत्र (Letter/Application)
अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य के पास एक आवेदन पत्र लिखें, जिसमें विद्यालय के शौचालय की साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था के लिए अनुरोध किया गया हो।
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
सरस्वती उच्च विद्यालय, पटना।
विषय: विद्यालय के शौचालय की समुचित साफ-सफाई की व्यवस्था हेतु आवेदन पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय का ग्यारहवीं कक्षा का छात्र/छात्रा हूँ। मैं आपका ध्यान विद्यालय के शौचालयों की खराब स्थिति की ओर आकर्षित करना चाहता/चाहती हूँ।
शौचालयों में प्रायः गंदगी रहती है, जिससे वहाँ से दुर्गंध आती है और संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। सफाईकर्मी की अनियमितता और पानी की अपर्याप्त व्यवस्था के कारण विद्यार्थियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उन्हें बाहर जाने पर विवश होना पड़ता है।
अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप इस गंभीर समस्या को देखते हुए शौचालयों की दैनिक और समुचित सफाई सुनिश्चित करने तथा जल की उचित व्यवस्था करने की कृपा करें।
इस कार्य के लिए मैं एवं समस्त विद्यार्थी आपके आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद।
आपका/आपकी आज्ञाकारी छात्र/छात्रा,
नाम: [आपका नाम]
कक्षा: XII
दिनांक: 21 नवंबर, 2025
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- लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर दें।
(i) बालकृष्ण भट्ट के अनुसार वाक्शक्ति न होती तो क्या होता ?
बालकृष्ण भट्ट के अनुसार, यदि मनुष्य में वाक्शक्ति (बोलने की शक्ति) न होती, तो यह समस्त सृष्टि गूँगी प्रतीत होती। सब लोग चुपचाप बैठे रहते और वे एक-दूसरे के सुख-दुख, अनुभव और भावों का आदान-प्रदान न कर पाते। इससे सृष्टि का विकास रुक जाता और जीवन निष्क्रिय हो जाता।
(ii) लहना सिंह के गाँव में आया तुर्की मौलवी क्या कहता था ?
‘उसने कहा था’ कहानी के अनुसार, लहना सिंह के गाँव में आया तुर्की मौलवी कहता था कि जर्मनी के लोग बड़े पंडित हैं। वह वेद पढ़कर विमान चलाने की विद्या जान गए हैं और अब वे लोग ही हिंदुस्तान में आएंगे तथा गौ-हत्या बंद करवाएंगे।
(iii) जयप्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में क्यों नहीं शामिल हुए ?
जयप्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में इसलिए शामिल नहीं हुए, क्योंकि वे जब अमेरिका से लौटकर आए तो उन्हें पता चला कि कम्युनिस्ट पार्टी की नीति भारत को गुलाम बनाए रखने की थी। उस समय कम्युनिस्ट पार्टी ब्रिटिश शासन का समर्थन कर रही थी, जो देश की आजादी के खिलाफ था।
(iv) ‘अर्धनारीश्वर’ शीर्षक पाठ में वर्णित प्रवृत्तिमार्ग और निवृत्तिमाग क्या है ?
प्रवृत्तिमार्ग: यह वह मार्ग है जो जीवन और संसार से जुड़ा होता है। यह घर-गृहस्थी, पारिवारिक जिम्मेदारियों और भोग-विलास को महत्व देता है।
निवृत्तिमार्ग: यह वह मार्ग है जो संन्यास और मोक्ष से जुड़ा होता है। यह संसार के बंधनों से मुक्त होकर वैराग्य और अध्यात्मिक साधना को महत्व देता है। यह पुरुषार्थ से दूर रहने की प्रवृत्ति है।
‘रोज’ कहानी के अनुसार, गैंग्रीन एक भयानक बीमारी का नाम है। यह मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में काँटा चुभने या साधारण चोट के कारण घाव सड़ जाने से होती है। इसका इलाज घाव वाले अंग को काटकर अलग करना होता है ताकि जहर पूरे शरीर में न फैले। मालती के पति महेश्वर इसी बीमारी के डॉक्टर थे।
(vi) मलिक मुहम्मद जायसी के अनुसार ‘रक्त के लेई’ का क्या अर्थ है ?
मलिक मुहम्मद जायसी के अनुसार, उन्होंने ‘पद्मावत’ महाकाव्य की रचना गाढ़ी प्रीति (गहरे प्रेम) से और अपने रक्त के आँसुओं (गहरे विरह की पीड़ा) से की है। इस संदर्भ में ‘रक्त के लेई’ का अर्थ उनकी रचना में लगा खून-पसीना और समर्पण है। यह उनके गहरे दुःख, प्रेम की तीव्रता, और काव्य के लिए किए गए कठिन श्रम का प्रतीक है।
(vii) सूरदास रचित प्रथम पद में किस रस की व्यंजना हुई है ?
सूरदास रचित प्रथम पद में वात्सल्य रस की व्यंजना हुई है। इस पद में माता यशोदा द्वारा अपने पुत्र श्रीकृष्ण को जगाने के लिए सूर्योदय के दृश्य और अन्य प्राणियों की गतिविधियों का वर्णन किया गया है। यह माँ और बच्चे के बीच के शुद्ध प्रेम और स्नेह को दर्शाता है।
(viii) मुक्तिबोध के अनुसार नदियों की वेदना का क्या कारण है ?
कवि गजानन माधव मुक्तिबोध के अनुसार, नदियों की वेदना (पीड़ा) का कारण यह है कि वे जनता (लोगों) के लिए जीवनदायिनी हैं, फिर भी उनकी सेवा में लगी हुई हैं। वे मनुष्य द्वारा किए गए प्रदूषण और जनता के सामाजिक शोषण तथा दुःखों को देखकर द्रवित होती हैं, जिससे वे लगातार बहती हुई भी अशांत रहती हैं।
(ix) ‘गाँव का घर’ शीर्षक कविता में आवाज की रोशनी या रोशनी की आवाज का क्या अर्थ है ?
ज्ञानेंद्रपति की कविता ‘गाँव का घर’ में, आवाज़ की रोशनी या रोशनी की आवाज़ का अर्थ है जनसंचार के आधुनिक साधनों का गाँव में प्रवेश। यह अखबार, रेडियो, टेलीविजन (TV) आदि से आने वाली सूचनाओं और ज्ञान की किरणें हैं। यह बिंब बताता है कि अब खबर सुनने के लिए चौपाल पर एकत्र होने की आवश्यकता नहीं, बल्कि ज्ञान की रोशनी आवाज़ के रूप में हर घर तक पहुँचने लगी है।
(x) ‘हार-जीत’ शीर्षक कविता में सड़कों को क्यों सींचा जा रहा है ?
अशोक वाजपेयी की कविता ‘हार-जीत’ में, सड़कों को इसलिए सींचा जा रहा है क्योंकि राजा की सेना की जीत के उपलक्ष्य में विजय-उत्सव मनाया जा रहा है। सड़कों को सींचने का उद्देश्य उन्हें धूल-रहित करना और राजा की सवारी के राजसी स्वागत के लिए तैयार करना है, ताकि जीत का प्रदर्शन भव्य लगे।
- दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दें।
(i) संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण की क्या अपेक्षाएँ हैं ? ‘संपूर्ण क्रांति’ शीर्षक पाठ के अनुसार लिखें।
जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने ‘संपूर्ण क्रांति’ के दौरान गठित छात्र-युवक संघर्ष समितियों से निम्नलिखित अपेक्षाएँ रखी थीं:
लोकतंत्र की निगरानी: समितियाँ विधानसभा और लोकतंत्र के लिए स्थायी प्रहरी (पहरेदार) का काम करें। उन्हें लोकतंत्र के प्रति जागरूक और सक्रिय रहना चाहिए।
सामाजिक परिवर्तन: समितियों का कार्य केवल राजनीतिक नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें समाज में व्याप्त बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, भ्रष्टाचार, जाति-भेद और छुआछूत को दूर करने के लिए भी काम करना चाहिए।
जनता का दबाव बनाना: यदि सरकारी अधिकारी रिश्वतखोरी करें या कोई गलत काम करें, तो समितियाँ मिलकर उन पर जनता का दबाव बनाएँ और उन्हें सही रास्ते पर चलने के लिए मजबूर करें।
विकासात्मक कार्य: समितियाँ गाँव-गाँव में शिक्षण कार्यक्रम चलाएँ, बेरोजगारी को दूर करने के लिए कार्यक्रम बनाएँ और गाँव के विकास में योगदान दें।
(ii) शिक्षा का क्या अर्थ है एवं इसके क्या कार्य हैं ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
जे. कृष्णमूर्ति द्वारा रचित ‘शिक्षा’ शीर्षक पाठ के अनुसार:
शिक्षा का अर्थ: सच्ची शिक्षा का अर्थ केवल ज्ञान या कौशल प्राप्त करके नौकरी पा लेना नहीं है। सच्ची शिक्षा वह है जो हमें भयमुक्त, स्वतंत्र और विचारशील बनाती है। यह हमें जीवन के सत्य को समझने, चुनौतियों का सामना करने और दुनिया के जटिलताओं को समझने में सहायक होती है।
शिक्षा के कार्य:
भयमुक्त करना: शिक्षा का सबसे प्रमुख कार्य मनुष्य को सभी प्रकार के डर (भय) से मुक्त करना है। भय से मुक्त होकर ही व्यक्ति स्वतंत्र रूप से सोच सकता है।
समग्रता और प्रेम: यह हमें जीवन को समग्रता से देखने और दूसरे मनुष्यों, जानवरों और प्रकृति से प्रेम करना सिखाती है।
विद्रोही बनाना: शिक्षा हमें रूढ़ियों और सड़ी-गली परम्पराओं को बिना सोचे-समझे स्वीकारने के बजाय, उनके विरुद्ध विद्रोही बनने की प्रेरणा देती है।
जीवन के सत्य को समझना: यह हमें जीवन के वास्तविक उद्देश्य और सत्य को जानने में मदद करती है, जिससे हम जीवन को एक महान कार्य के रूप में ले सकें।
(iii) एकांकी और नाटक में क्या अंतर है ? संक्षेप में बताएँ।
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